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[[Category:ग़ज़ल]]
हाल—ए—दिल हाल-ए-दिल जिनसे कहने की थी आरज़ू
वो मिले तो हमीं से लगे हू—ब—हूहू-ब-हू
जिस्म के बन के भीतर ही था वो कहीं
जिसको ढूँढा किये दर—ब—दर दर-ब-दर , कू—ब—कूकू-ब-कू
फूल यादों के जो सेह्न—ए—दिल सेह्न-ए-दिल में खिले
एक ख़ुश्बू —सी -सी बिखरा गये चार सू