Changes

गीत चिता के / हरकीरत हकीर

12 bytes removed, 21:09, 28 फ़रवरी 2009
<Poem>
मैंने तसब्‍बुर में तराश्‌करतराशकर
रंगों से था इक बुत बनाया
मुकद्‌दर की चिंगारी इक दिन
न जाने उदासी का इक दरिया
कहाँ से कश्‍ती में आ बैठा
खा़मोशी में कैद नज्‍म्नज़्म
आँखों से शबनम बहा बैठी
झाड़ती रही जिस्‍म से
ताउम्र दर्‌द दर्द के जो पत्‍ते
उन्‍हीं पत्‍तों से मैं
घर अपना सजा बैठी
Mover, Uploader
2,672
edits