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नारियल के दरख़्तों की पागल हवा / बशीर बद्र
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{{KKRachna
|रचनाकार=बशीर बद्र
|संग्रह=आस / बशीर बद्र
}}
नारियल के दरख़्तों की पागल हवा खुल गये बादबाँ लौट जा लौट जा <br>
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