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वास्तविक जीवन की भाषा / अंशु मालवीय
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15:11, 2 मार्च 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अंशु मालवीय
|संग्रह=दक्खिन टोला / अंशु मालवीय
}}
<poem>
और अघाई हुई डकारें
हमारी वास्तविक राष्ट्रभाषा बन जाती हैं.
</poem>
Pratishtha
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