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तुम्हे याद हो के ना याद हो / मोमिन
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09:25, 7 मार्च 2009
किया बात मैं ने
वोह
वो
कोठे की, मेरे दिल से साफ़ उतर गई <br>
तो कहा के जाने मेरी बाला, तुम्हें याद हो के न याद हो
जिसे आप गिनते थे
आश्ना
आशना
जिसे आप कहते थे बावफ़ा <br>
मैं वही हूँ "मोमिन"-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो के न याद हो
Irfan
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