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11:36, 9 मार्च 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लुई आरागों
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'''पूर्वाग्रह'''
मैं चमत्कारों के बीच नाचता हूँ
हज़ारों सूर्य रंगते हैं आकाश
हज़ार दोस्त, हज़ार आँखें या एक चश्म
अपनी निगाहों से मुझे देते हैं आकार
राहों पर जैसे रोया हो तेल
सायबान के बाद से खोया है खूँन
ऐसे में कूदता हूँ एक दिन से दूसरे तक
बहुरंगी गोल और खूबसूरत
जैसे धनुष का जाल हो या रंगों की आग
जब लौ का रंग है हवा सा
जीवन ओ! शांत स्वचलित वाहन
और आगे दौड़ने का आनन्दमयी संकट
मैं जलूँगा रोशनी की आग से
</poem>
(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)