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10:19, 10 मार्च 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लुई आरागों
}}
<poem>
'''फाँसें'''
1
रोक दे कराहना कि कुछ न होगा
इससे अधिक अजीब
कि कराहता हो कोई
और वह रोता न हो
2
मैं घूमता हूँ
अपने भीतर साये का खंजर लिए
मैं घूमता हूँ
अपनी यादों में एक बिल्ली लिए
मैं घूमता हूँ
मुरझाए फूलों का गुलदस्ता लिए
मैं घूमता हूँ
तार-तार हुए कपड़े पहन
मैं घूमता हूँ
अपने दिल में बड़ा सा घाव लिए
3
यकीन करें मुझ पर
सबसे बुरी बात है यह
कि सोचता है कोई
4
जितनी छोटी हो कविता
उतना ही ज्यादा बसेगी मन में
</poem>
(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)
/तनाव-76 अक्टूबर-दिसम्बर 2000/