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ऊँचि डांड्यू तुम नीसि जावा / गढ़वाली
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{{
KKLokRachna
|रचनाकार=महिमानंद
ममगाईं
}}
ऊँचि डांड्यू तुम नीसी जावा
'''भावार्थ'''<br>
<br>
--'हे ऊँची पहाड़ियो! तुम नीची हो जाओ ।
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