गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपने ही मन से कुछ बोलें / अटल बिहारी वाजपेयी
6 bytes added
,
17:40, 18 मई 2007
क्या खोया, क्या पाया जग में<br>
मिलते और
बिछडते
बिछुड़ते
मग में<br>
मुझे किसी से नहीं शिकायत<br>
यद्यपि छला गया पग-पग में<br>
Anonymous user
Ramadwivedi