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उठो धरा के अमर सपूतो / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
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04:48, 2 अप्रैल 2009
नए स्वरों में गाते हैं ।
गुन-गुन
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गुन-गुन करते भौंरे
मस्त हुए मँडराते हैं ।
डा० जगदीश व्योम
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