गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लगता था / व्योमेश शुक्ल
14 bytes added
,
13:58, 10 अप्रैल 2009
|रचनाकार=व्योमेश शुक्ल
}}
<poem>
हमें लगता था कि सबकुछ को ठीक करने के लिए
बातचीत के चालूपन में वाक्य विन्यास को क़ायदे से
सँभाल लिया जाय
लेकिन, फिर बहुत समय बीत गया
औऱ अब लगता है कि हमें ऐसा लगता था
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits