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मैं हूँ तीस्ता नदी ! / शार्दुला नोगजा
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06:43, 11 अप्रैल 2009
मुझ से हंस के कहा इक बुरुंश फूल ने
अपनी चांदी की पायल मुझे दे गयी
मुझेसे
मुझ से
बातें करी जब नरम धूप ने ।
मैं लचकती चली, थकती, रुकती चली
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