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धुआँ और गुलाल / ऋषभ देव शर्मा
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17:39, 18 अप्रैल 2009
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<Poem>
सिर पर धरे धुएँ की गठरी
मुँह पर मले गुलाल
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है पर्याय खुशी का
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है उल्लास
चले हम
धोने रंज मलाल !
गाली दे तुम हँसो
चले हम
धोने रंज मलाल !
</poem>
अनिल जनविजय
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