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धुआँ और गुलाल / ऋषभ देव शर्मा

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सिर पर धरे धुएँ की गठरी
मुँह पर मले गुलाल
चले हम
धोने रंज मलाल !
 
होली है पर्याय खुशी का
चले हम
धोने रंज मलाल !
 
होली है उल्लास
चले हम
धोने रंज मलाल !
 
गाली दे तुम हँसो
चले हम
धोने रंज मलाल !
 
 
 
</poem>
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