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एक गज़ल उस पे लिखूँ / कृष्ण बिहारी 'नूर'
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15:50, 19 अप्रैल 2009
कोई आया है ज़रूर और यहाँ ठहरा भी है <br>
घर की दहलीज़
पा-ए-
पे ऐ '
नूर
'
उजाला है बहुत <br><br>
नदीम शर्मा
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