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19:23, 21 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
शहतूत की पत्ती पर
रेशम के कीड़े हैं,
भारत के स्विट्ज़रलैंड में
बकरी हैं, भेड़ें हैं,
गूजर हैं, बकरवाल हैं,
पंडित हैं, शेख हैं,
सेव और बादाम हैं,
पश्मीना है और केसर भी.
चष्मों का जल आज भी
पहले सा ठंडा और मीठा है.
पर एक चीज है
जो सिरे से गायब है -
एक उन्मुक्त संगीत
जो दम तोड़ रहा है
`पाकिस्तान जि़ंदाबाद` के
बोझ तले !
</poem>