Changes

अवशेष / ऋषभ देव शर्मा

13 bytes removed, 22:14, 21 अप्रैल 2009
}}
<Poem>
रिश्ते सब टूट गए
 
खून के,
 
दूध के
 
और परस्पर झूठे पानी के।
 
ठेके ही बाकी हैं
 
कुर्सी के,
 
धर्म के,
 
माफिया गिरोहों के।।
 
 
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits