Changes

खिसक गयी है धूप / अज्ञेय

320 bytes added, 18:14, 25 अप्रैल 2009
नया पृष्ठ: पैताने से धीरे-धीरे खिसक गयी है धूप। सिरहाने रखे हैं पीले गुलाब। ...


पैताने से धीरे-धीरे
खिसक गयी है धूप।
सिरहाने रखे हैं
पीले गुलाब।

क्या नहीं तुम्हें भी
दिखा इनका जोड़-
दर्द तुम में भी उभरा?
Mover, Uploader
752
edits