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ज़िन्दगी से ज़िन्दगी का हक़ अदा होता नहीं
इस से बड़कर बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होत होता नहीं
सब जुदा हो जायेँ लेकिन ग़म जुदा होता नहीं
बेकराँ होता नहीं बे-इन्तेहा होता नहीं
क़तर जब तक बड़ बढ़ के क़ुलज़म आश्ना होता नहीं
ज़िन्दगी इक हादसा है और इक ऐसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
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