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कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है / अकबर इलाहाबादी
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19:54, 2 मई 2009
इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं,
के
हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है।
ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा,
हेमंत जोशी
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