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[[Category:ग़ज़ल]]
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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार<sup>1</sup> नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीददार नहीं हूँ<br>
ज़िन्दा हूँ मगर ज़ीस्त<sup>2</sup> की लज़्ज़त<sup>3</sup> नहीं बाक़ी
हर चंद कि हूँ होश में, होशियार नहीं हूँ <br>
इस ख़ाना-ए-हस्त<sup>4</sup> से गुज़र जाऊँगा बेलौस<sup>5</sup>
साया हूँ फ़क़्त<sup>6</sup>, नक़्श<sup>7</sup> बेदीवार नहीं हूँ<br>
अफ़सुर्दा<sup>8</sup> हूँ इबारत<sup>9</sup> से, दवा की नहीं हाजित<sup>10</sup>
गम़ का मुझे ये जो’फ़<sup>11</sup> है, बीमार नहीं हूँ <br>
वो गुल<sup>12</sup> हूँ ख़िज़ां<sup>13</sup> ने जिसे बरबाद किया है
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार<sup>14</sup> नहीं हूँ <br>
यारब मुझे महफ़ूज़<sup>15</sup> रख उस बुत के सितम से
मैं उस की इनायत<sup>16</sup> का तलबगार<sup>17</sup> नहीं हूँ<br>
अफ़सुर्दगी-ओ-जौफ़<sup>18</sup> की कुछ हद नहीं “अकबर”<br>क़ाफ़िर<sup>19</sup> के मुक़ाबिल में भी दींदार<sup>20</sup> नहीं हूँ <br><br>
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''' शब्दार्थ:
1. तलबगार=इच्छुक, चाहने वाला 11. जो’फ़(ज़ौफ़)= कमजोरी, क्षीणता;2. ज़ीस्त=जीवन 12. गुल=फूल; 3. लज़्ज़त=स्वाद ; 13. ख़िज़ां=पतझड़ 4. ख़ाना-ए-हस्त=अस्तित्व का घर ; 14. ख़ार=कांटा5. बेलौस=लांछन के बिना 15. महफ़ूज़=सुरक्षित ; 6. फ़क़्त=केवल ; 16. इनायत=कृपा7. नक़्श=चिन्ह, चित्र ; 17. तलबगार=इच्छुक8. अफ़सुर्दा=निराश ; 18. अफ़सुर्दगी-ओ-जौफ़=निराशा और क्षीणता9. इबारत=शब्द, लेख ; 19. क़ाफ़िर=नास्तिक10. हाजित(हाजत)=आवश्यकता ;11. जो’फ़(ज़ौफ़)= कमजोरी, क्षीणता;12. गुल= फूल;13. ख़िज़ां= पतझड़;14. ख़ार= कांटा;15. महफ़ूज़= सुरक्षित;16. इनायत= कृपा;17. तलबगार= इच्छुक;18. अफ़सुर्दगी-ओ-जौफ़= निराशा और क्षीणता;19. क़ाफ़िर= नास्तिक;20. दींदार=आस्तिक,धर्म का पालन करने वालावाला।