Changes

शब-ए-फ़ुर्क़त में क्या क्या साँप लहराते हैं सीने पर<br>
तुम्हारी काकुल-ए-पेचाँ को जब हम याद करते हैं<br>
 
*[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/ Bazm-E-Jagjit]