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सच ढूंढ्ता रहा शहादत देखिये / प्रकाश बादल
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13:13, 3 मई 2009
<poem>
सच
ढूंढ्ता
ढूँढ़ता
रहा शहादत देखिये।
झूठ की हो भी गई ज़मानत देखिये।
विनय प्रजापति
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