Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 13|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 15|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
}}
<poem>
अगणित जन्मों की ले दारुण कर्मश्रृंखलायें मधुकर
जब जो भी दीखता उसी से व्याकुल पूछ रहा निर्झर