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|रचनाकार= रामधारी सिंह "दिनकर"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 4|आगे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 6|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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'करना क्या अपमान ठीक है इस अनमोल रतन का,
तो मेरी यह खुली घोषणा सुने सकल संसार।
 
मेरे इस क्षुद्रोपहार से क्यों होता उद्‌भ्रान्त?
 
जनता निज आराध्य वीर को, पर लेती पहचान।
 
 
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