गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मैं ज़रूर रोता / अभिज्ञात
89 bytes added
,
10:21, 6 मई 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
<poem>
मैं ज़रूर रोता
अगर वह कायम रहती अपने कहे पर
मैं ज़रूर रोता
अगर उसका मकान सिर्फ़ उसका घर होता।
</poem>
सम्यक
KKSahayogi, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
3,794
edits