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कापालिक / प्रभाकर माचवे

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:यह कुंकुम-अक्षत से चर्चित माथा, यह तन<br>
:किसी सुहागिन की अर्थी पर<br>
:बडीबड़ी-बडी बड़ी चीलों के मानो तीक्ष्ण चक्षु ये बसे हुए पर<br>
जीवन याँ सस्ता है<br>
मरना यहाँ नहीं डँसता है<br>
:मरघट<br>
:औघड औघड़ का मठ<br>
:चट-चट-खट-खट जलती हड्डी-मज्जा, झटपट<br>
:कुत्ते भौंक रहे हैं, हो-हो-<br>
कापालिक केवल हँसता है ।<br>
:अट्टाहस करता है, आँखें लाल-लाल<br>
:चँहु चहुं ओर डाल<br>
:हँसता है<br>
कापालिक केवल हँसता है ।<br><br>