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हर दम दुआएँ देना / जिगर मुरादाबादी
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05:49, 12 मई 2009
जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने <br>
जीना
उंहीं
उन्हीं
का जीना मरना
उंहीं
उन्हीं
का मरना <br><br>
हरियाली ज़िन्दगी पे सदक़े हज़ार जाने <br>
हेमंत जोशी
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