गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
साक़ी पर इल्ज़ाम न आये / जिगर मुरादाबादी
2 bytes added
,
05:52, 12 मई 2009
इश्क़ का सौदा इतना गराँ है
इंहें
इन्हें
हम से काम न आये
मै ख़ाने
मयख़ाने
में सब ही तो आये
लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये
हेमंत जोशी
Mover, Uploader
752
edits