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कालिदास / दूधनाथ सिंह
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19:44, 13 मई 2009
वे मेरे गुरुजन नहीं थे। वे दिशाहारा थे।
अपने ही तर्कों के गलित वाग्जाल से पराजित
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उद्भ्रान्त।
उद्भ्रान्त।
उसके पहले उन्होंने कभी भी चुनौतियाँ नहीं स्वीकारी थीं
अनिल जनविजय
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