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कर्ण सजग है, उचट जाय गुरुवर की कच्ची नींद नहीं।
और रात-दिन मुझ पर दिखलाने रहते ममता कितनी।
सूख जायगा लहू, बचेगा हड्डी-भर ढाँचा तेरा।
इस प्रकार तो चबा जायगी तुझे भूख सत्यानाशी।
कर लेना घनघोर तपस्या वय चतुर्थ के आने पर।
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