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बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे / ग़ालिब
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08:01, 18 मई 2009
क्यों कर कहूँ लो नाम न उस का मेरे आगे
ईमाँ मुझे रोके है तो
खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे
द्विजेन्द्र द्विज
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