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बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे / ग़ालिब
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08:04, 18 मई 2009
मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख के क्या रंग
है तेरा मेरे आगे
सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा<ref>गर्वित और आत्म-अलंकृत</ref> हूँ, न क्योँ हूँ
द्विजेन्द्र द्विज
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