कि जितना खेंचता हूँ और खिंचता जाये है मुझसे <br><br>
वो बदख़ू और मेरी दास्तानेदास्तान-ए-इश्क़ तूलानी <br>
इबारत मुख़्तसर, क़ासिद भी घबरा जाये है मुझसे <br><br>
सँभलने दे मुझे ऐ नाउमीदी, क्या क़यामत है <br>
कि दामानेदामन-ए-ख़याल-ए-ख़याले यार छूटा जाये है मुझसे <br><br>
तकल्लुफ़ बर तरफ़ नज़्ज़ारगी में भी सही, लेकिन <br>