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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 8
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16:33, 25 जून 2008
सहम गयी यह सोच कर्ण की भक्तिपूर्ण विह्वल छाती।
सोचा, उसने, अतः, कीट यह पिये रक्त, पीने दूँगा,
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अभिलाष पुरोहित