[[Category:ग़ज़ल]]
जुज़ क़ैस और कोई न आया ब रू-ए -कार <br>सहरा मगर ब तनगी-ए -चश्म-ए -हसूद था <br><br>
आशुफ़्तगी ने नक़्श-ए -सुवैदा किया दुरुस्त<br>
ज़ाहिर हुआ कि दाग़ का सर्मायह दूद था <br><br>
था ख़्वाब में ख़ियाल को तुझ से मु`आमिलह <br>
जब आंख आँख खुल गई न ज़ियां था न सूद था <br><br>
लेता हूं हूँ मक्तब-ए -ग़म-ए -दिल में सबक़ हनूज़ <br>लेकिन यिही यही कि रफ़्त गया और बून्द था <br><br>
ढांपा ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए -`उयूब-ए -बरहनगी <br>मैं वरना हर लिबास में नन्गनंग-ए -वुजूद था <br><br>
तेरे बग़ैर मर न सका कोहकन असद <br>
सर्गश्तह-ए -ख़ुमार-ए -रुसूम-ओ-क़ुयूद था