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दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सअई फ़रमायेंगे क्या / ग़ालिब
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17:35, 22 मई 2009
दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मायेंगे क्या<br>
ज़ख़्म के भरने तलक
नाख़ुन
नाख़ून
न बढ़ जायेंगे क्या<br><br>
बेनियाज़ी हद से गुज़री बन्दा परवर कब तलक<br>
हेमंत जोशी
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