1,071 bytes added,
18:38, 22 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>
एक बात
=======
इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है
इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है
और हर गोशःए-गुलज़ार१ में सन्नाटा है
किसी सीने में मगर एक फ़ुग़ाँ२ तो होगी
आज वह कुछ न सही कल को जवाँ तो होगी
वह जवाँ होके अगर शोलः-ए-जव्वाला बनी
वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला३ बनी
ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों पे क्या गुज़रेगी
------------------------------------------------
१.उपवन का कोना २.आर्तनाद ३.सौ वर्ष वाली अग्नि।
<poem>