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क़त्आ / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
क़त्आ
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दौरे_मय ख़त्म हुआ, ख़त्म हुई सुह्बते_शब<ref>रात्रि-मिलन</ref>
हो चुकी सुब्ह मगर रात अभी बाकी़ है
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