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बीच में पर्दा दुई का था जो / ज़फ़र
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18:50, 27 मई 2009
ऐसा कुछ देखा के दुनिया से मेरा दिल उठ गया <br><br>
शमा ने रो
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रो के काटी रात सूली पर तमाम <br>
शब को जो महफ़िल से तेरी ऐ ज़ेब-ए-महफ़िल उठ गया <br><br>
हेमंत जोशी
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