गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं / शहरयार
No change in size
,
16:47, 29 मई 2009
अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना <br>
हम को बुलावे दश्त से जब
-
तब आते हैं <br><br>
जागती आँखों से भी देखो दुनिया को <br>
काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया <br>
देखो हम को क्या
-
क्या करतब आते हैं<br><br>
हेमंत जोशी
Mover, Uploader
752
edits