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अपनी धुन में रहता हूँ / नासिर काज़मी
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13:30, 30 मई 2009
तेरी गली में सारा दिन <br>
दुख के
कन्कर
कंकर
चुनता हूँ <br><br>
मुझ से आँख मिलाये कौन<br>
आती रुत मुझे रोयेगी <br>
जाती रुत का
झोँका
झोंका
हूँ <br><br>
हेमंत जोशी
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