|रचनाकार=नासिर काज़मी
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[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>किसे देखें कहाँ देखा न जायेवो देखा है जहाँ देखा न जाये
किसे देखें कहाँ देखा ना जाये<br>मेरी बरबादियों पर रोने वालेवो देखा है जहाँ तुझे महव-ए-फुगाँ देखा ना न जाये<br><br>
मेरी बरबादियोँ पर रोने वाले<br>सफ़र है और गुरबत का सफ़र हैतुझे महवगम-ए-फुगाँ सद-कारवाँ देखा ना न जाये<br><br>
सफ़र है कहीं आग और गुरबत का सफ़र है<br>कहीं लाशों के अंबारगमबस ऐ दौर-ए-सद-कारवाँ ज़मीँ देखा ना न जाये<br><br>
कहीं आग और कहीं लाशों के अंबार<br>दर-ओ-दीवार वीराँ, शमा मद्धमबस ऐ दौरशब-एओ-ज़मीँ गम का सामाँ देखा ना न जाये<br><br>
दर-ओ-दीवार वीराँ, शमा मद्धम<br>पुरानी सुहब्बतें याद आती हैशब-ओ-गम चरागों का सामान धुआँ देखा ना न जाये<br><br>
पुरानी सुहब्बतें याद आती भरी बरसात खाली जा रही है<br>चरागों का धुआँ सराबर-ए-रवाँ देखा ना न जाये<br><br>
भरी बरसात खाली जा रही कहीं तुम और कहीं हम, क्या गज़ब है<br>सराबरफिराक-ए-रवाँ जिस्म-ओ-जाँ देखा ना न जाये<br><br>
कहीं तुम और कहीं हम, क्या गज़ब है<br>फिराक-ए-जिस्म-ओ-जाँ देखा ना जाये<br><br> वही जो हासिल-ए-हस्ती है नासिर<br>उसी को मेहरबान मेहरबाँ देखा ना न जाये</poem>