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हुस्न को दिल में छुपा कर देखो / नासिर काज़मी
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11:05, 7 जून 2009
सरो की शाख हिला कर देखो<br><br>
नहर क्यूँ सो गई चलते
-
चलते<br>
कोई पत्थर ही गिरा कर देखो<br><br>
दिल में बेताब हैं क्या
-
क्या मंज़र<br>
कभी इस शहर में आ कर देखो<br><br>
इन अंधेरों में किरन है कोई<br>
शबज़दों आंख उठाकर देखो
हेमंत जोशी
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