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|रचनाकार=केशव.
}}
[[Category:छंद]]
<poem>
दुरिहै क्यों भूखन बसन दुति जोबन की ,
कचन के भार ही लचकि लँक जाति है ।
'''केशव. का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
</Poem>