Changes

|रचनाकार=केशव.
}}
[[Category:छंद]]
<poem>
सोने की एक लता तुलसी बन क्योँ बरनोँ सुनि बुद्धि सकै छ्वै ।
केशव दास मनोज मनोहर ताहि फले फल श्री फल से द्वै ।
फूलि सरोज रह्यो तिन ऊपर रूप निरूपन चित्त चले च्वै चवै
तापर एक सुवा शुभ तापर खेलत बालक खंञन के द्वै ।
'''केशव. का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
</Poem>