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पढ़ कर आनंद ले रहा था अन्ितम पंिक्त पर आने के बाद िफ़र से ऊपर जाना अटपटा लगा, सो नैिवगेशन यहाँ भी
योगिराज कर संगत उसकी नटवर नागर कहलाए,<br>
देखो कैसों-कैसों को है नाच नचाती मधुशाला।।४०।<br><br>
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|पीछे=मधुशाला / भाग १ / हरिवंशराय बच्चन
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|सारणी=मधुशाला / हरिवंशराय बच्चन
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