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यादें / मृत्युंजय प्रभाकर
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14:16, 22 जून 2009
पिता, भाई या दोस्त के हाथों
माँ और झाड़ू की
स्मृतियां
स्मृतियाँ
आज भी दर्ज़ है
मेरी पसलियों में
अनिल जनविजय
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