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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |संग्रह=}}<poem>वे तुम्‍हें
संपदा का समुद्र कहते हैं
कि तुम्‍हारी अंधेरी गहराईयों में
या होगा वह खजाना।
'''अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल</poem>