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इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं<br>
शब-ए-फ़ुर्क़त में क्या -क्या साँप लहराते हैं सीने पर<br>
तुम्हारी काकुल-ए-पेचाँ को जब हम याद करते हैं<br>
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