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अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा / वसीम बरेलवी
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20:39, 23 जून 2009
<poem>
अपने हर
हर लफ़्ज़्
लफ़्ज़
का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा
सारी दुनिया की नज़र में है
मेरा
मेरी
अह्द—ए—वफ़ाइक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा? </poem>
हेमंत जोशी
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